मुक्ति का गीत
मुक्त हूँ ! इस पल ! यहाँ पर !
मुक्त हूँ हर बात से उस
हर घड़ी जो टोकती थी,
याद कोई जो बसी थी
भय बताकर टोकती थी !
मुक्त हूँ नित भीत से भी
तर्क के उन सीखचों से,
तोड़ दी दीवार हर वह
बोझ जिनका था सताता !
मुक्त हूँ ! इस पल ! यहाँ पर !
नील अम्बर सामने था
किंतु दिल यह उड़ न पाता,
बांध ली थीं साँकलें कुछ
क़ैद मन को कर लिया था !
मुक्त हूँ हर बात से उस
हृदय को खिलने न देती
सहज अपनापन जगाकर
जो कभी मिलने न देती
मुक्त हूँ ! इस पल ! यहाँ पर !