शनिवार, मई 23

वह

 वह

भूल कर भी दिल से वह जाता नहीं 
बिन बुलाये घर में जो आता नहीं 

गूँजती है धुन उसकी बांसुरी की 
जय के नगमे जो कभी गाता नहीं 

भर रहा चुपचाप ही कई झोलियाँ 
उससे बढ़कर दूसरा दाता नहीं 

गोपियों से पूछकर जरा देख लो 
बिन गोविंदा ब्रज जिन्हें भाता नहीं 


7 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (25 मई 2020) को 'पेड़ों पर पकती हैं बेल' (चर्चा अंक 3712) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीया दीदी.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. अति सुंदर सृजन ,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं