मंगलवार, जुलाई 14

एक -अनेक

एक -अनेक 


ऊपर चढ़ने का मार्ग एक ही है 
नीचे उतरने के मार्ग हजारों 
पांडव पांच हैं,  कौरव सौ 
ब्रह्म एक है, जीव अनंत 
विद्युत एक  
उसके कार्य अनेक 
समाधान वहीं है जहाँ एक है
 दो होते ही 
प्रपंच का हो जाता श्रीगणेश है 
जो भी आया है जहां में 
जाल फैलाया है उसी ने 
समेटना होगा एक-एक-कर सारे तंतुओं को 
बटोर कर करना होगा एक ही पुल का निर्माण 
जिसके पार वह एक है
सौंप देना होगा सब 
देह धरा को 
मन जल को 
मेधा अग्नि को
और जुड़ जाना होगा 
एक से ही.... !

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