बुधवार, सितंबर 2

पंच तत्व पावन हैं

पंच तत्व पावन हैं 

 

अश्रु की बाढ़ आयी 

आज गगन रोता है, 

खेत, गाँव, नदी, विजन  

सभी को डुबोता है !

 

क्या भू की पीड़ा ही 

वाष्पित हो नहीं उठी, 

कण-कण बीमार हुआ 

जलवायु विषाक्त बनी !

 

विष घुला पानियों में 

हवा हुई धुँआ-धुँआ,

मनुज की लालसा ने 

आसमानों को छुआ !

 

पशुओं का आश्रय भी 

लील गया लोभ दैत्य,  

बाँध तोड़ बिखर गयी 

वसुधा की पीड़ा यह  !

 

स्वच्छ बने आँचल अब  

पुनःनव सृष्टि रचाए,

मानव फिर एक बार 

अमरता पथ दिखाए  !

 

पंच तत्व पावन हैं 

सादर सुसम्मान हो, 

अपने ही हाथों ना  

स्वयं का अवमान हो !

 

10 टिप्‍पणियां:

  1. 'पंच तत्व पावन हैं'...... पंच तत्व ही सार रूप में भगवान हैं।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 3.9.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर पोस्ट पर्यावरण की पीड़ा को आज अनुभव करने की आवश्यकता है।

    जवाब देंहटाएं