तलाश
हर तलाश ख़ुद से दूर लिए जाती है
जिंदगी हर बार यही तो सिखाती है
खुदी में डूब कर ही उसको पाया है
अगर ढूँढा किसी ने सिर्फ़ गँवाया है
दिल यह छोटा सा भला कब खोज पाएगा
मिलन हुआ भी तो कहाँ उसे बैठायेगा
हो रही है सारी खोज जल की मरुथल में
न बुझेगी प्यास जिगर सूना रह जाएगा
उठाकर आँख जरा देखो यहीं पाओगे
वरना यूँही यह दिल तकता रह जाएगा
प्रीत का बीज सोया उसे जगाना है
खिल उठेगा खुशबुओं से भर जाएगा
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