पाथेय
जीवन की शाम आये
इससे पहले
थोड़ी सी तो मुस्कान समो लें भीतर
पाथेय पास हो अपने
तो रास्ता सहज ही कट जाएगा
राह का हर अँधेरा
ख़ुद में ही सिमट जाएगा
भरी दोपहरी में
जीवन की
यदि शिकायत ही करते रह गये
तो ख़ाली हाथ जाना होगा
फिर उस दीर्घ मार्ग पर
कोई न ठिकाना होगा !
सत्य
जवाब देंहटाएंअगर मुस्कान के बदले, पीड़ा समेट लें अपने भीतर, तो वही साथ जाएगी। चिरपरिचित सहयात्री के साथ रहने से सुविधा होती है।
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