रविवार, जनवरी 12

हादसा

हादसा 


बढ़ती जाती है भीड़ मंदिरों में 

सैकड़ों, हज़ारों अब लाखों की 

दिलों में आस और विश्वास लिए 

कि जो गुहार लगायी 

वह सुनी जाएगी 

पर अचानक हो जाने वाले हादसों में 

गुहार लगाने वाला ही नहीं बचता 

भगदड़ में सदा के लिए गुम हो जाता  

 कुछ हो जाते हैं घायल 

देवता भी सिहर जाते होंगे 

शायद राह दिखाते हों 

मृतात्माओं को 

कहते होंगे 

जब अनेक बार आ चुके, 

अनेक बार फिर आना है 

क्या जल्दी है आगे जाने की 

परमात्मा तो हर जगह है 

कुछ न कुछ पाने की 

कुछ न कुछ बनने की 

होड़ में लगा मानव 

ख़ुद को गँवा देता है 

भीड़ में दबकर विदा लेने से 

बुरा, भला और क्या हो सकता है ! 


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