रविवार, जनवरी 19

नये साल की एक भोर

नये साल की एक भोर 


वादा किया था उस दिन

एक नयी भोर का  

लो !  आज ही वह भोर 

मुस्कुराती हुई आ गई है 

गगन लाल है पावन बेला 

सितारों ने ले ली है विदा 

दूर तक फैला है उजियाला 

नयी राहों पर कदम बढ़ाओ 

आँख खोली है पंछियों और कलियों ने 

संग हवाओं के तुम भी तो कुछ गुनगुनाओ 

पोंछ डालो हर कालिमा बीती रात की 

नये जोश से नये साल में कदम रखो 

ख़ुद के होने पर गर्व करो 

अपनी हस्ती को जरा और फैलाओ !


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