बुधवार, अगस्त 12

गोकुल बना महकता उर यह

 गोकुल बना महकता उर यह 

 

टूट गए जब ताले मन के 

खुलीं बेड़ियाँ मोह, अहम की, 

गोकुल बना महकता उर यह 

प्रकट भये श्यामा सुंदर भी !

 

वह चितचोर नन्द का लाला 

आनँदघन हरि मुरलीवाला, 

निर्मल मन नवनीत बना जब  

उस घट आकर डाका डाला !

 

प्रेम-विरह दोनों का रसिया 

अविचल भक्ति सुरस बरसाये, 

नित नई चुनौती स्वीकारे 

रास रचाने झट आ जाये !

 

अव्यक्त ब्रह्म पूर्ण व्यक्त हो 

वृन्दावन के श्याम सरीखा, 

चंचल, धीर, योगी व ज्ञानी  

मीत कन्हैया सखा अनोखा !


7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।

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  2. धीर योगिराज श्री क्रोष्ण की माया का असर ...
    लाजवाब भावपूर्ण रचना ... श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई ....

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  3. बहुत बहुत आभार यशोदा जी !

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