शनिवार, मई 3

बस ! अब और नहीं

बस ! अब और नहीं 

उलझ गई थी 

आज़ादी के वक्त 

समस्या वह सुलझाने वाली है 

एक मुल्क 

जो झूठ की बुनियाद पर 

खड़ा हुआ  

 चूलें उसकी हिलने वाली हैं 

छल से लिया बलूचिस्तान 

और आधा कश्मीर हथिया लिया 

कद्र नहीं की सिंध की कभी 

कर पंजाब के टुकड़े 

एक देश बना लिया 

दुनिया के नक़्शे पर नहीं रहेगा  

आतंकियों का अनाचार 

भारत अब एक दिन भी 

नहीं सहेगा 

दशकों से जिस बोझ को 

ढोती आ रही है दुनिया 

उस बोझ को उतार फेंकने का 

दिन क़रीब है 

जाग रहा जाने कितने 

जुल्म के सताये लोगों का

 नसीब है !


7 टिप्‍पणियां: