कृतज्ञता का फूल
समय से पूर्व
और आवश्यकता से अधिक
जब मिलने लगे
जो भी ज़रूरी है
तो मानना चाहिए कि
ऊपरवाला साथ है
और कृपा बरस रही है !
कृतज्ञता का फूल
जब खिलने लगे अंतर में
तो जानना चाहिए कि
मन पा रहा है विश्राम
और आनंद-गुलाल बिखर रहा है !
सब मिला ही हुआ है
यह अनुभव में आ जाये
तो छूट जाती है हर चाह
राह के उजाले गवाह बन जाते
कि विश्वास का दीपक ह्रदय में
जलने लगा है !