बाबा रामदेव के नाम एक प्रार्थना
आज रो रहीं कितनी माएँ
भारत का इक सपूत मौन है,
इक सन्यासी बना तपस्वी
भोजन जिसके लिये गौण है !
जो सिंह सम गर्जना करता
गाँव-गाँव और शहर-शहर में,
आज शिथिल हुआ बेबस है
हँसता-गाता था जो भोर में !
सत्याग्रह की भेंट चढ़ गयी
उसकी वह वाणी ओजस्वी,
लाखों जिसके साथ जागते
क्यों मौन है वह मनस्वी !
बाबा, तुम तो शांति दूत थे
वर्षों से रहे अलख जगाते,
पर अंधे-बहरे सरकारों के
प्रतिनिधि देख सुन न पाते !
कोई नहीं था गुप्त एजेंडा
तुम सोने से खरे दिल वाले,
सब को तुमने दिया निमंत्रण
देश से प्रेम करे जो आ ले !
लेकिन तुम भोले थे बाबा
नहीं कुचक्रों को समझे,
जिन्हें मान करना था तुम्हारा
वही पलट के वार करें !
कितनी बहन-बेटियां रोतीं
यह भी तप का ही रूप है,
बह जाये अश्रुओं में ही
जो भी भारत में कुरूप है !
बाबा तुम कोई व्यक्ति नहीं हो
एक जोश, उत्साह, वीरता,
शौर्य, पराक्रम. कर्मठता का
हो इक रूप जीता-जागता !
एक किये दिन-रात थे तुमने
नींद गंवाई चैन गंवाया,
गली-गली भारत की जाकर
सरल योग का दीप जलाया !
ऐसा महामानव सदियों में
धरती पर आया करता है,
जो प्रेम से जन-जन के
दिलों में बस जाया करता है !
तुम व्रती हो भूखे बाबा
लेकिन भीतर वही आत्मा,
जो क्षण-क्षण परम के सँग है
जिसका संगी परमात्मा !
भारत की जनता तकती है
उठो पुनः तुम हुंकारो,
संसद में सोये लोगों को
जगें न जब तक पुनः पुकारो !
अभी कार्य है शेष तुम्हारा
अभी तुम्हें बरसों जीना है,
अपने हाथों भारत माँ के
शीश जय किरीट रखना है
तुम छोडो अब सत्याग्रह को
तुम्हें बहुत काम करने हैं,
अपनी तेजस्वी वाणी व
प्रेम से लाखों दिल भरने हैं !
भीरु नहीं भारत की जनता
शांति पूर्ण विरोध करेगी,
कोई बखेड़ा नहीं चाहिए
बात तुम्हारी याद रखेगी !
तुमसे है करबद्ध प्रार्थना
व्रत तोड़ो कुछ बात करो
सुबह-सवेरे योग सिखाकर
सुंदर पुनः प्रभात करो !
अनिता निहालानी
११ जून २०११