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बुधवार, दिसंबर 18

क्रिसमस उसकी याद दिलाता

क्रिसमस उसकी याद दिलाता



क्रिसमस उसकी याद दिलाता
जो भेड़ों का रखवाला था,
आँखें करुणा से नम रहतीं
मन जिसका मद मतवाला था !

जो गुजर गया जिस घड़ी जहाँ
फूलों सी महकीं वे राहें,
दीनों, दुखियों की आहों को
झट भर लेती उसकी बाहें !

सुन यीशू के उपदेश अनोखे
 भीड़ एक पीछे चलती थी,
भर अधिकार से कहते थे वह
 चकित हुई सी वह गुनती थी !

नहीं रेत पर महल बनाओ  
जो पल भर में ही ढह जाते,
चट्टानों पर नींव पड़ी तो  
गिरा नहीं सकतीं बरसातें !

यहाँ मांगने से मिलता है
 खोला जाता है यह द्वार,
ढूंढेगा जो, पायेगा ही
प्रभु लुटाने को तैयार !

कितने रोगी स्वस्थ हुए थे
अनगिन को दी उसने आशा,
तूफानों को शान्त किया था
अद्भुत थी जीसस की भाषा !

प्रभु के प्यारे पुत्र कहाते
जन-जन की पीड़ा, दुःख हरते,
एक बादशाह की मानिंद वे
संग शिष्यों के डोला करते !

जो कहते थे, पीछे आओ
सीखो तुम भी मानव होना,
हूँ पुत्र प्रिय परमेश्वर का 
मैं जानता मार्ग स्वर्ग का !

संकरा है वह द्वार प्रभु का
 उससे ही होकर जाना है,
यीशू ने जो बात कही थी
 आज उसे ही दोहराना है ! 

शुक्रवार, फ़रवरी 4

आया वसंत





आया वसंत

नव वसंत की नई भोर का
तन-मन में जागी हिलोर का
उल्लसित हो करें स्वागत !

नयी प्रीत हो नयी रीत हो
नव ऊर्जा से रचा गीत हो,
नया जोश हो नव उमंग हो
हर दिल में छायी तरंग हो !

मधुमास के नए प्रातः का
नए तराने नयी बात का
हर्षित हो करें स्वागत !

नए इरादे नए कायदे
इस वसंत में नए वायदे,
नए रास्ते नयी मंजिलें
नव ऋतु में नए सिलसिले !

नव बहार की नई सुबह का
नई मित्रता नई सुलह का
प्रफ्फुलित हो करें स्वागत !

अनिता निहालानी
४ फरवरी २०११
 


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गुरुवार, जनवरी 13

आप सभी को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !

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मकर संक्रांति पर कुछ दोहे


मकर राशि में आदित्य का हो रहा प्रवेश
संक्रांति काल लिए आया यह पर्व विशेष !

उत्तर में खिचड़ी कहें पोंगल दखिन में है
लोहरि जो पंजाब में शुभ बिहु असम में है !

लकड़ी का इक ढेर हो शीत मिटाए आग
बैर कलुष जल खाक हों पर्व मनायें जाग !

मीठे गुड में तिल मिले नभ में उड़ी पतंग
लोहरि की इस आग ने दिल में भरी उमंग !

दाने भुने मकई के भर रेवड़ियाँ थाल

अंतर में उल्लास हो चमकें सबके भाल !

अनिता निहालानी
१३ जनवरी २०११