सोमवार, नवंबर 30

जन्मदिन की शुभकामनाएँ

जन्मदिन की शुभकामनाएँ

नयी भोर आयी जीवन में
लेकर एक सन्देश नया,  
जन्मदिन यह कहने आया
बीता जो वह समय गया !  

हर क्षण यहाँ लिये आता  
एक ऊर्जा का उपहार,
नयन मिलाये जीवन से जो
पा जाता अनुपम आधार !

आगे ही आगे बढ़ना है
नहीं दूसरा कोई मार्ग,
पथ दिखलाया सदा ही जिसने  
भीतर वह जलती है आग !

शुभ ही केवल घट सकता
रब की इस पावन सृष्टि में,
जन्म दिया जिसने उसके
सुन्दरतम जीवन घट में ! 

गुरुवार, नवंबर 26

झर सकता है वही निरंतर

 झर सकता है वही निरंतर

यह कैसी खलिश..यह हलचल सी क्यों है
जो लौटा घर.. उर चंचल सा क्यों है

बादल ज्यों बोझिल हो जल से
पुष्प हुआ नत निज सौरभ से,
बंटने को दोनों आतुर हैं
ऐसी ही नजरें कातर हैं !

प्रेम सुधा का नीर बहाएँ  
सुरभि सुवासित बन कर जाएँ,
कृत्य किसी की पीड़ा हर लें  
वही तृप्त अंतर कर जाएँ !

चलते-चलते कदम थमे थे
पल भर ही पाया विश्राम,
पंख लगे पुनः पैरों में
यह चलना कितना अभिराम !

भर ही डाली झोली उसने
इतना भार सम्भालें कैसे,
रिक्त लुटाकर ही करना है
पुष्प और बदली के जैसे !

दे ही डालें सब कुछ अपना
फिर भी पूर्ण रहेगा अंतर,
शून्य हुआ जो अपने भीतर
झर सकता है वही निरंतर !

कैसी अद्भुत बेला आई
भीतर नयी कसक जागी है,
शीतल अग्नि कोमल पाहन
जैसे बिन ममता रागी है ! 

मंगलवार, नवंबर 3

हम और वह


हम और वह

हम नहीं होते जब वह होता है
बंद हो जाती है आँख जब वह
 अपने आप में समोता है
हमारा होना ही उसका न होना है
उसका होना ही हमारा खोना है
उतार सारे मुखौटे
जब जाते हैं हम उसके करीब
हम में कुछ बचता ही नहीं
बस रह जाता है वह रकीब
हर चाहत एक चेहरा है
हर लक्ष्य सबब बनता
उससे दूर ले जाने का
हर ख्वाहिश उसे खोने का
वह जो हर कहीं है.. हमारे होने से ही तो है ढका !