जगमग दीप दीवाली के
कुछ कह जाते
कुछ दे जाते
सरस पावनी
ज्योति बहाते
जगमग दीप दीवाली के !
संदेसा गर
कोई सुन ले
कही-अनकही
भाषा पढ़ ले
शीतल मधुरिम
अजिर उजाला
कोने-कोने
में भर जाते
जगमग दीप दीवाली के !
पंक्ति बद्ध
सचेत प्रहरी से
तिमिर अमावस
का हर लेते
खुद मिट कर
उजास बरसाते
रह अकम्प
थिरता भर जाते
जगमग दीप दीवाली के !