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शुक्रवार, जून 17

ब्लॉग जगत के सभी पाठकों को समर्पित


एकत्व जगाती है कविता

कवि को कौन चाहिए जग में
एक सुहृदय पाठक ही तो,
कोई तो हो जग में ऐसा
जो समझे उसकी रचना को !

पाठक पढ़ जब होता हर्षित
कवि और उत्साह से लिखता,
रख देता उंडेल कर दिल को
अंतर का बल उसमें भरता !

कवि शब्दों का खेल खेलता
पाठक उसमें होता शामिल,
सीधी दिल में जाकर बसती 
कविता पूरी होती उस पल !

एकत्व जगाती है कविता
जाने कितने दिल यह जोड़े
देश काल के हो अतीत यह
फैले हर सीमा को तोड़े !

कवि खड़ा होता निर्बल हित
सर्वहारा, वंचित जनता हित,
अंतर भर पीड़ा से उनकी 
विरोध करे अन्याय का नित !

अनिता निहालानी
१७ जून २०११