एकत्व जगाती है कविता
कवि को कौन चाहिए जग में
एक सुहृदय पाठक ही तो,
कोई तो हो जग में ऐसा
जो समझे उसकी रचना को !
पाठक पढ़ जब होता हर्षित
कवि और उत्साह से लिखता,
रख देता उंडेल कर दिल को
अंतर का बल उसमें भरता !
कवि शब्दों का खेल खेलता
पाठक उसमें होता शामिल,
सीधी दिल में जाकर बसती
कविता पूरी होती उस पल !
एकत्व जगाती है कविता
जाने कितने दिल यह जोड़े
देश काल के हो अतीत यह
फैले हर सीमा को तोड़े !
कवि खड़ा होता निर्बल हित
सर्वहारा, वंचित जनता हित,
अंतर भर पीड़ा से उनकी
विरोध करे अन्याय का नित !
अनिता निहालानी
१७ जून २०११