विजयादशमी
माँ को पूज कर राम ने
पाया विजय का वरदान,
किया विनाश दशानन का
मिला दुनिया में सम्मान !
राम तभी अवतार बने
जिस पल निज शीश झुकाया,
विधिपूर्वक करी प्रार्थना
अहम् भाव पूर्ण मिटाया !
सीता से फिर हुआ मिलन
दोनों के सब कष्ट मिटे,
सेना में जय घोष उठा
अंधकार के मेघ छँटे !
हम निज अल्प प्राप्ति पर भी
गर्वित हों कब शोभा दे,
माँ की शक्ति से ही सदा
तन-मन का अस्तित्व रहे !
वही करावन हारा है
उसी को सौंपें हर भार
हल्के हो जगत में रहें
यदि करना स्वयं उद्धार !