आस्ट्रेलिया-आस्ट्रेलिया
गतांक से आगे -
अगले दिन हम
स्थानीय समुद्र तट देखने गये, पानी इतना साफ था कि तल स्पष्ट दिखाई दे रहा था, नीले
आकाश की छाया उसमें पड़ रही थी. दूर तक नजर डालने पर कहीं नीला और कहीं हरा
समुन्दर. दिखाई देता... जैसे सूरज से रंगों की बरसात हो रही हो. घुमावदार श्वेत
लहरें जब पूरे उल्लास के साथ तट से टकराकर लौटतीं तो हमारे पैरों के नीचे से रेत
खिसकती मालूम होती, भारहीनता का सा अनुभव होता. ठंडे पानी में कदम रखने पर पहले-पहल
सिहरन प्रतीत हुई पर ऊपर धूप खिली थी, कुछ देर लहरों का आनन्द लेने के बाद हम घर
आये, शाम के धुंधलके में पुनः ओपेरा हाउस के कुछ चित्र लिए, प्रकाश में जगमगाती यह
इमारत अब कुछ और ही प्रतीत हो रही थी. फेरी में बैठकर हमने डेक पर बैठकर ठंडी हवा
का आनन्द लेते हुए ‘मैनली’ तक की यात्रा की, जो सिडनी के उत्तर में स्थित एक सुंदर
तटीय स्थान है.
दुसरे दिन
सुबह-सुबह ही हम ऑस्ट्रेलिया की घरेलू उड़ान ‘वर्जिन आस्ट्रेलिया’ से विक्टोरिया
राज्य की राजधानी मेलबोर्न की यात्रा पर निकले. पहले दिन पथ भ्रमण कर हमने कुछ
प्रमुख स्थान जैसे घंटाघर, मेलबोर्न म्यूजियम आदि देखे. एक जगह बग्घी और घोड़ा
देखकर कलकत्ता का विक्टोरिया मैदान याद हो आया. साफ-सुथरी सडकें और दोनों ओर लगे
लॉन औए पेड़, आधुनिक और प्राचीन, विशाल भव्य इमारतें निरंतर हमारा ध्यान आकर्षित कर
रही थीं. पद यात्रियों के लिए हर जगह चौड़े फुटपाथ बने हैं तथा सड़क पार करने के लिए
स्थान-स्थान पर विशेष पथ बनाये गये हैं. पद यात्रियों का यहाँ बहुत ध्यान रखा जाता है. मेलबोर्न प्रदर्शनी हाल
के बाहर स्पोर्ट्स कारों की एक विशाल प्रदर्शनी भी हमने देखी. मेलबोर्न म्यूजियम
में आस्ट्रेलिया के विचित्र व विशाल जन्तु संसार से हमारा परिचय हुआ.
अगले दिन सुबह
हम ‘फिलिप आइलैंड’ के टूर पर रवाना हुए, जो मेलबोर्न से डेढ़ घंटे की दूरी
पर है. विश्व प्रसिद्ध ‘पेंगुइन परेड’ इसका प्रमुख आकर्षण था. wild life tour की
चौबीस सीटों वाली आरामदेह बस में सुबह होटल से हम रवाना हुए. हमारी बस का ड्राइवर
कम टूर गॉइड बहुत जानकार और उत्साही व्यक्ति था. दूर-दूर मीलों तक फैले हरे-भरे
चारागाह और उनमें घास चरती हुईं काली गायों के झुंड, कहीं-कहीं भेड़ों के रेवड़ और
कहीं दूर तक फैला सन्नाटा... मेलबोर्न के गावों से गुजरते हुए ये दृश्य मन-पटल पर अंकित
हो गये से लगते हैं. आस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले कंगारू तथा कोआला, प्राकृतिक
वन्य प्राणी, सुंदर तट पर स्थित पंछियों का निवास- ‘सीगल कालोनी’ सभी दर्शनीय थे.
इस कालोनी में हमने एक पहाड़ी पर हजारों पंछियों को घोसलों में बैठे देखा, कुछ में
अंडे थे, कुछ में चूजे, कुछ में बच्चे जिन्हें उनके माता-पिता भोजन खिला रहे थे,
अद्भुत नजारा था.
मार्ग में एक
सुंदर शहर आया कोवेस जिसकी साफ-सुथरी सडकें तथा दुकानें, हरे-भरे लॉन तथा फूलों की
क्यारियां दर्शनीय थीं. फिलिप आइलैंड में प्रवेश से पहले गाइड हमें एक चाकलेट
फैक्ट्री में ले गया, जहाँ १४० तरह की हाथ से बनी चाकलेट्स मिलती हैं. जहाँ कुछ
देर रुककर बेहद स्वादिष्ट चाकलेट्स का आनन्द लिया. मुख्य द्वार पर चाकलेट से बना
एक सुंदर दृश्य था, जिसमें रेत, जानवर, पेड़ सभी चाकलेट से बने थे. जैसे-जैसे
संध्या बढ़ती गयी लोग समुद्र तट पर बनी सीढ़ियों पर बैठ गये, मौसम ठंडा था, तेज हवा
की साथ हल्की बूंदें भी बरसने लगीं. हमने वहीं की गिफ्ट शाप से ठंड से बचने के लिए
शालें खरीदीं और बरसात से बचने के लिए प्लास्टिक के ओवरआल भी. सभी यात्रियों की
आतुर नजरें सामने समुद्र तट पर थीं जिनकी लहरें कृत्रिम प्रकाश में चमक रही थीं, गाइड
ने बताया था की एक दिन पूर्व ५०० पेंगुइन आये थे, जो चार-पांच दिन अपने घरों में
रहने के बाद पुनः कुछ दिनों के लिए पानी में चले जायेंगे. तभी अचानक पानी की लहरों
को चीरते पेंगुइन का एक छोटा सा समूह नजर आया जो धीरे धीरे तट की ओर बढ़ रहा था.
लोगों में खुशी की एक लहर दौड़ गयी, फिर कुछ देर बाद दूसरा समूह, विशिष्ट चाल से
उनका बढ़ना और धीरे-धीरे तट पर आकर घास में बने घोसलों में चुपचाप चले जाते हुए देखना
एक अद्भुत अनुभव था.