तथागत ने कहा था
ऐसा है, इसलिए वैसा होगा
उससे बचना है, तो इसे तजना होगा
तथागत ने कहा था !
जहाँ जुड़ी है हर वस्तु दूसरे से
थिर नहीं तन-मन दोनों
आश्रित इकदूजे पर
इनसे प्रेम करना तो ठीक है
पर उम्मीद करना
इनके लिए प्रेम की
दुःख ही उपजाता
है वह सदा एक
जहाँ से प्रेम आता
अनुभव बदल जाएं पर
नहीं बदलता अनुभवी
उसे जान सकता है
दुःख के पार हुआ मन ही !