मेरे सपनों का भारत
जो देश गुलाम बना था तब
अब जाग गया है, हुंकारे,
कोई लूट नहीं पायेगा
जन-जन देखो यही पुकारे !
जो गुजर गया फिर ना होगा
अब नई इबारत लिखनी है,
इस भारत की तस्वीर नयी
जग के नक्शे में भरनी है !
आदर्शों की ध्वजा, पताका
अब पुनः यहाँ लहराएगी,
सत्य, अहिंसा और प्रेम के
जनता गीत नए गायेगी !
भूखा ना कोई सोयेगा
हो निर्भय नारी निकलेगी,
शोषण, पीड़न अब न होगा
हर बच्ची कलिका सी खिलेगी !
भयमुक्त हो जन विचरेंगे
अपनेपन की प्रबल कामना,
डंडे का कोई काम न होगा
जब फैलेगी सद् भावना !
थाने भी निरापद होंगे
संसद में न धींगामुश्ती,
बाहुबली बस रंगमंच पर
केवल मैदानों में कुश्ती !
वेदों की ऋचाएँ फिर से
अधरों पर शोभित होंगी,
अपनी भाषा, अपनी बोली
जग में गौरवान्वित होगी !
ऐसा होगा देश हमारा
स्वप्न सभी भारतीयों का,
पूर्ण करेंगे मिलजुल कर हम
नव जोश जगा है हम सब का !
अनिता निहालानी
२३ जून २०११