या रब
या रब हो मेरे दिल का इतना बड़ा मकां
दुनिया के सब गमों को उसमें पनाह मिले !
बरसें मेरे आंगन में चाहे न बदलियाँ
सरहद के उस पार पर पानी सदा मिले !
चलता रहे इस दिल में दुआओं का सिलसिला
खुशबू सी जाके छूलें ऐसी शिफा मिले !
अंतर से फूटतीं हों नेह की हजार किरणें
पहरों में कैद गम का उनको पता मिले !
जन्मों से ढूंढते हैं तेरा ठिकाना जो रब
उनको मेरी नजरों से तेरा पता मिले !
अनिता निहालानी
५ अप्रैल २०११