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मंगलवार, अप्रैल 5

या रब

या रब

या रब हो मेरे दिल का इतना बड़ा मकां
दुनिया के सब गमों को उसमें पनाह मिले !

बरसें मेरे आंगन में चाहे न बदलियाँ
सरहद के उस पार पर पानी सदा मिले !

चलता रहे इस दिल में दुआओं का सिलसिला
खुशबू सी जाके छूलें ऐसी शिफा मिले !

अंतर से फूटतीं हों नेह की हजार किरणें
पहरों में कैद गम का उनको पता मिले !

जन्मों से ढूंढते हैं तेरा ठिकाना जो रब
उनको मेरी नजरों से तेरा पता मिले !

अनिता निहालानी
५ अप्रैल २०११