दिल का मामला
जी हाँ, यहाँ मामला दिल का है
और बहुत नाजुक है
इसका धड़कता रहना हमारी
सेहत के लिए कितना आवश्यक है
शीशे से भी नाजुक दिल की सलामती के लिए
कुछ बातों को निहायत जरूरी है मानना
ठीक नहीं दिल से हर बात को लगाना
या कि इस दिल को खून के आसूँ रुलाना
दिल देके मुकर जाना भी
नहीं मुनासिब इसकी सेहत की खातिर
दिल चुराना किसी का हो ही जाएगा जग जाहिर
दिल की गलियों में सफाई भी जरूरी है बेहद
क्या पता कब हो जाये दिल से कोई रुखसत
दिल को हल्का रखना ही है मुफीद
बतौर हकीम के दिल कभी भारी न करना
हाथ रखकर अपने
दिल से पूछना
कितनी बार रखना पड़ा है पत्थर दिल पर
फिर अगर फूटने लगें फफोले दिल के
तो दिल थाम कर बैठ जाना ही ठीक है
दिल खोलकर रखना किसी दिलबर के सामने
न कि लोटने देना सांप दिल पर
घाव के सिवा क्या
देगा भला यह दिल को
दिल बैठने लगे तो खोल देना दिल की गांठें
दिल लगाने से बाग़ बाग होता है दिल
टूटे हुए दिल का सम्भालने के सिवा क्या इलाज है
वह भी क्या दिल है जो रोया न गम पे औरों के
जो पसीज जाये वह नेकदिल इन्सान है
हाल जानते रहना दिल
का, इसकी सेहत का राज है
दिल में चुभता तो नहीं कोई काँटा
दिल को बड़ा करना, दिल में जगह देना
संग दिल को आएगा न दिल जीतना
दिल भर आये या हो उथल पुथल दिल में
तो जानना कि दिल है जिंदा
लड्डू फूटें या फूल खिलें दिल में बसंत छा ही जाता है
दिल में चोर हुआ तो दिल दहल जाता है
या हिल जाता है छोटी सी बात पर
दिलवाला जो हर मुसीबत में साथ देता है
दिलदार है.. वही
दिलेर है
तो फिर दिल को दुरस्त रखने में क्यों भला अब देर है !