चुने राह के कंटक अनगिन
वरदानों को शाप
मानकर
रहा खोजता द्वार
सुखों का,
राह ताकता भटका
राही
प्रियतम उर से
कहीं निकट था !
तन कंचन सा कोमल
अंतर
श्वासों की दी
अद्भुत माला,
मेधा, प्रज्ञा शक्ति
अनोखी
नयनों में भर
दिया उजाला !
उऋण कहाँ तिल भर
भी होगा
हर पल भी यदि कोई
गाये,
चुने राह के कंटक
अनगिन
पाहन पथ के दूर
हटाये !
अलबेला मतवाला
प्रियतम
सदा उलीचता निज
भंडार,
झोली फटी अंजुरी
छोटी
कहाँ भरेगा अकोर
अपार !
जीवन का उपहार
अनोखा
कदर न जाने
दीवाना दिल,
हीरे-मोती सी
श्वासों में
अश्रु पिरोये
अंतर बोझिल !