मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश ( दूसरा भाग )
सुबह पांच बजे से भी पहले मुर्गे की बांग सुनकर हम उठे गये.
सूर्योदय होने को था, कुछ तस्वीरें उतारीं. पल-पल आकाश के बदलते हुए रंग यहाँ के
हर सूर्योदय को एक आश्चर्यजनक घटना में बदल देते हैं. रंगों की अनोखी छटा दिखाई
देती है. गेस्ट हॉउस के रसोइये ने आलू परांठों का स्वादिष्ट नाश्ता परोसा. सवा आठ
बजे हम आइजोल से, जो मिजोरम की राजधानी है, लुंगलेई के लिए रवाना हुए. लगभग पांच
घंटों तक सुंदर पहाड़ी घुमावदार रास्तों पर चलते हुए दोपहर सवा एक बजे गन्तव्य पर
पहुंच गये. सड़क अपेक्षाकृत बहुत अच्छी थी, पता चला यह सड़क विश्व बैंक के सहयोग से
बनी है, मार्ग में एक दो स्थानों पर भूमि रिसाव के कारण सड़क खराब हो गयी है, जिसके
दूसरी तरफ मीलों गहरी खाई होने के कारण बड़ी सावधानी से चालक वाहन चलाते हैं. मार्ग
में एक जगह चाय के लिए विश्राम गृह में रुके, मिजोरम के हर जिले में एक से अधिक
सरकारी यात्रा निवास हैं. लुंगलेई का यह टूरिस्ट लॉज भी काफी बड़ा व साफ-सुथरा है.
बालकनी से पर्वतों की मनहर मालाएं दिखती हैं. सामने ही मिजोरम के बैप्टिस्ट चर्च
की सुंदर भूरे रंग की विशाल इमारत है. बाहर निकलते ही एक बड़ा अहाता है, जिसमें एक
वाच टावर बना है. जिसपर चढ़कर हमने सूर्यास्त का दर्शन किया, तथा रंगीन बादलों और
आसमान की कुछ अद्भुत तस्वीरें उतारीं. रात्रि में यहाँ का आकाश चमकीले तारों से भर
जाता है और धरती भी चमकदार रोशनियों से सज जाती है. हजारों की संख्या में पास-पास
घर बने हैं, जो पहाड़ियों को पूरा ढक लेते हैं और शाम होते ही चमकने लगते हैं. यहाँ
की हवा में एक ताजगी है.
मिजोरम के लोगों के
रहन-सहन तथा रीतिरिवाजों के बारे में कई रोचक जानकारियां मिली हैं. ये लोग सुबह
जल्दी उठते हैं, चार बजे से भी पहले तथा सुबह छह बजे ही दिन का भोजन कर लेते हैं.
इसके बाद काम पर निकल जाते हैं तथा दोपहर को भोजन नहीं करते. शाम का भोजन छह बजे
ही कर लेते हैं, इसलिए यहाँ बाजार जल्दी बंद हो जाते हैं. कुछ देर पहले हम बाजार
गये लेकिन ज्यादातर दुकानें बंद हो चुकी थीं. यहाँ भोजन में ज्यादातर चावल, मांस
तथा उबली हुई सब्जियां ही खायी जाती हैं. मसाले भी नहीं के बराबर. यहाँ बहुविवाह
प्रथा प्रचलित है तथा स्त्री या पुरुष दोनों को इसका समान अधिकार है. महिलाएं यहाँ
सभी प्रकार के काम करती हैं, बचपन से ही उनके साथ कोई भेद भाव नहीं किया जाता.
उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा अवसर मिलता है. तलाक लेना यहाँ बहुत आसान है.
किसी भी तरह का विवाद लोग आपसी बातचीत से सुलझा लेते हैं. पुलिस तथा अदालत तक मामला
पहुंचने की नौबत नहीं आती. सडकों पर ड्राइवर एक दूसरे को रास्ता देते हैं तथा अपने
वाहन को पीछे ले जाने में जरा भी नहीं हिचकते.
१६ मार्च २०१७
लुंगलेई
लुंगलेई में हमारी
पहली सुबह है. पंछियों की आवाजों ने हमें जगा दिया, कमरे की खिड़की से परदा हटाया
तो सामने पर्वतमालाएं थीं और आकाश पर गुलाबी बादल. जैसे सामने कोई चित्रकार अदृश्य
हाथों से अपनी कला का प्रदर्शन कर रहा हो. सामने वाले पहाड़ हरे वृक्षों से लदे थे,
उसके पीछे काले पर्वत जिनके वृक्षों की आकृतियाँ खो गयी थीं पर आकार फिर भी नजर आ
रहे थे. तीसरी श्रेणी, जहाँ ऊँची-नीची सी वृक्षों की चोटियाँ मात्र दिख रही थीं,
और उसके पीछे स्वप्निल से पहाड़ जो धुंध और सलेटी कोहरे में लिपटे थे. एक के पीछे
एक तीन-चार पर्वत श्रेणियां और ऊपर गहरा नीला आकाश और उस पर सुनहरे चमकते बादल, जो
गगन के राजा के आने का संदेश दे रहे थे. तभी चर्च से घंटियों का स्वर आने लगा और
पूरा वातावरण एक आध्यात्मिक रंग में सराबोर कर गया. कुछ देर बाद हम प्रातः भ्रमण
के लिए निकले, हवा ठंडी थी, बाहर का तापमान आठ डिग्री था. निकट ही बादलों को
पर्वतों की श्रंखलाओं पर सिमटते हुए देखा, एक अद्भुत दृश्य था.
अब शाम के पांच बजे
हैं. हम आज जल्दी जाकर बाजार से लौट आये हैं. सुबह पतिदेव जब अपने काम के सिलसिले
में चले गये तो मैंने कुछ देर कमरे में रखी बाइबिल पढ़ी, नया नियम नाम से छोटी सी
हिंदी में लिखी पुस्तक, जो कई स्थलों पर बहुत रोचक और उत्साहवर्धक लगी, परमात्मा
का राज्य हमारे भीतर है, हम इस बात को भुला देते हैं और व्यर्थ ही परेशान होते
हैं. कल हमें वापस आइजोल जाना है और परसों कोलकाता, तथा उसके अगले दिन असम.
क्रमशः