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शनिवार, मई 7

बस इतना सा ही सरमाया


बस इतना सा ही सरमाया


गीत अनकहे, उश्ना उर की
बस इतना सा ही सरमाया !

कांधे पर जीवन हल रखकर
धरती पर फिर कदम बढाये
कुछ शब्दों के बीज गिराए
उपवन गीतों से महकाए !

प्रीत अदेखी, याद उसी की
बस इतना सा ही सरमाया !

कदमों से धरती जब नापी
अंतरिक्ष में जा पहुँचा मन
कुछ तारों के हार पिरोये
डोले चन्द्रमाओं सँग-सँग !

कभी स्मृति, कभी कल्पना
बस इतना सा ही सरमाया !


अनिता निहालानी
७ मई २०११