धरती का यह महादेश
त्यागा हर सुख जीवन का
मृत्यू को गले लगाया,
कैसे धुर दीवाने थे
देश प्रेम को अपनाया !
भारत माता है गुलाम
यह दंश उन्हें चुभता था,
ब्रिटिशों की सहे दासता
दर्द बहुत यह खलता था !
उन बलिदानों की गाथा
हर भारतवासी जाने,
वे सच्चे सेनानी थे
उनकी कीमत पहचाने !
अनगिन बाधाएँ सहकर
भारत हित वे डटे रहे,
नत हो जाता है मस्तक
उन खातिर जो झुके नहीं !
वह शौर्य, तेज, पराक्रमी
अमर भाव बलिदानी का,
देश आज आजाद हुआ
कृतज्ञ उनकी वाणी का !
भारतमाँ त्रस्त आज भी
भूख, गरीबी, अज्ञान से,
अस्वच्छता बेकारी व
दम्भ, झूठ, अभिमान से !
उन वीरों की क़ुरबानी
व्यर्थ नहीं जाने पाए,
धरती का यह महादेश
पुनः अपना गौरव पाए !