नये वर्ष में गीत नया हो
राग नया हो ताल नयी हो
कदमों में झंकार नयी हो,
रुनझुन रिमझिम भी पायल की
उर में करुण पुकार नयी हो !
अभी जहाँ पाया विश्राम
बसते उससे आगे राम,
क्षितिजों तक उड़ान भर ले जो
पंख लगें उर को अभिराम !
अतल मौन से जो उपजा हो
सृजें वही मधुर संवाद,
उथले-उथले घाट नहीं अब
गहराई में पहुंचे याद !
नया ढंग अंदाज नया हो
खुल जाएँ सिमसिम से द्वार
नये वर्ष में गीत नया हो
बहता वह बनकर उपहार !
अंजुरी भर-भर बहुत पी लिया
अमृत घट वैसा का वैसा,
अब अंतर में भरना होगा
दर्पण में सूरज के जैसा !