रास रचाएं संग वनमाली
चलो झटक दें
हर वह पीड़ा
जो उससे
मिलने में बाधक,
सभी कामना अर्पण कर दें
बन जाएँ
अर्जुन से साधक !
चलो उगा दें
चाँद प्रीत का
उससे ही करें
प्रतिस्पर्धा,
या फिर
अंजुरी भर-भर दें दें
भीतर उमग
रही जो श्रद्धा !
चलो गिरा दें
सभी आवरण
गोपी से हो
जाएँ खाली,
उर के भेद
सब ही खोल दें
रास रचाएं संग वनमाली !