बीतेगा यह दौर भ्रमों का
घोर तिमिर छाया है नभ में
तारा एक न चन्द्र चमकता,
काले असुरों से घन बादल
मार्ग न कोई कहीं सूझता !
अंधकार में घूमा करती
दुर्दमन की दानवी छाया,
मोह ग्रस्त है सोया जग यह
आवेशित कर हंसती माया !
एक किरण नन्ही सी कोई
अदृश्य पर जले रात-दिन,
एक आँख कभी साथ न छोड़े
नजर टिकाये रहती पल-छिन !
वही किरण पथ दिखलाएगी
राह नजर फिर आ जायेगी,
भ्रम में डूबे जन मानस को
वही मार्ग पर ले आयेगी !
बीतेगा यह दौर भ्रमों का
विश्वासों की फिर जय होगी,
आरोपों, प्रत्यारोपों की
दुखद श्रंखला खंडित होगी !
सब मिल कर सहयोग करेंगे
सत्यमेवजयते बोलेंगे,
तज स्वार्थ संकीर्णताओं को
बनके प्रेम प्रपात बहेंगे !
ऋषियों, मुनियों का यह भारत
भ्रष्ट राष्ट्र न कहलायेगा,
भीतर से ही तृप्त हुआ जो
लोभ उसे क्या छल पायेगा !
अनिता निहालानी
९ जून २०११
आदरणीय अनिता निहालानी जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
जवाब देंहटाएंभीतर से ही तृप्त हुआ जो
जवाब देंहटाएंलोभ उसे क्या छल पायेगा !
गहन और बहुत सुंदर भाव ...!!
बीतेगा यह दौर भ्रमों का
जवाब देंहटाएंविश्वासों की फिर जय होगी,
आरोपों, प्रत्यारोपों की
दुखद श्रंखला खंडित होगी !
बेहतरीन पंक्तियाँ
सादर
बीतेगा यह दौर भ्रमों का
जवाब देंहटाएंविश्वासों की फिर जय होगी,
आरोपों, प्रत्यारोपों की
दुखद श्रंखला खंडित होगी !
आपकी छंदबद्ध अभिव्यक्ति मन को भाता है।
ऋषियों, मुनियों का यह भारत
जवाब देंहटाएंभ्रष्ट राष्ट्र न कहलायेगा,
भीतर से ही तृप्त हुआ जो
लोभ उसे क्या छल पायेगा ..
सुन्दर प्रस्तुति
बीतेगा यह दौर भ्रमों का
जवाब देंहटाएंविश्वासों की फिर जय होगी,
बहुत अच्छे भाव । मेरी शुभकामनाएँ ।
ऋषियों, मुनियों का यह भारत
जवाब देंहटाएंभ्रष्ट राष्ट्र न कहलायेगा,
भीतर से ही तृप्त हुआ जो
लोभ उसे क्या छल पायेगा !
बेहद उम्दा भावाव्यक्ति।
आपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके ब्लॉग की किसी पोस्ट की कल होगी हलचल...
जवाब देंहटाएंनयी-पुरानी हलचल
धन्यवाद!
ऋषियों, मुनियों का यह भारत
जवाब देंहटाएंभ्रष्ट राष्ट्र न कहलायेगा,
भीतर से ही तृप्त हुआ जो
लोभ उसे क्या छल पायेगा !
sunder abhivyakti
rachana