हम
पिछली सदी के उत्तरार्ध में
आते-आते हम आजाद हो गये थे
खुशहाली का सपना सच होने को था
“धरा अपनी गगन अपना
जन्नत सा लगे वतन अपना”
जैसे गीत जुबानों पर चढ़े हुए थे
टुकड़ों में बंटकर ही सही
आजादी का घूंट पिया था
देश की हवा में पसीने की गंध थी
श्रम की नदी का कलरव..
और थी मजबूत इरादों के फौलाद
की चमक
किसानों ने सोना उगाया कि
मुरझाने न पाए एक भी जीवन !
पर...सदी बीतते बीतते हम लाचार हो गये
तंगहाली का सपना अपना होने को
था
‘भूख अपनी दर्द अपना
बेगाना लगे वतन अपना’
जैसे सवाल मनों को सालते थे
जाति, धर्म, भाषा, प्रदेश के
खानों में बंटे हुए हम
देश की हवा में खून की गंध
अलगाव वाद की नदी की चीख
हिंसा का नृत्य और..
भीड़ बेकाबू हो गयी है नई सदी
में
और किसान
अपनी ही जान बचा पाने में असमर्थ... !
क्या नहीं गाने होंगे वही पुराने गीत
श्रम से सजाना होगा इस गुलशन
को
तब कहेगा हर भारतीय शान से
पूर्ण हुआ बापू का सपना
जन्नत सा लगे वतन अपना !
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया-
रविकर जी, स्वागत व आभार !
हटाएंपर हम तो खुद ही जन्नत के जल्लाद बन गये हैं..आह!
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने अमृता जी, पर कहीं से तो आरम्भ करना होगा..
हटाएंआपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........
जवाब देंहटाएंसदी बीतते बीतते हम लाचार हो गये
तंगहाली का सपना अपना होने को था
‘भूख अपनी दर्द अपना
बेगाना लगे वतन अपना’
शनिवार 28/09/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
यशोदा जी, बहुत बहुत आभार !
हटाएंजब तक हम जाति, धर्म, भाषा, प्रदेश के खानों में बंटे रहेंगे ,हालत ऐसी रहेगी ,सबको मानव निर्मित इन बंधनों से बाहर आना पड़ेगा ,तभी वो सपनों का देश बना सकेंगे
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट साधू या शैतान
latest post कानून और दंड
सही कहा है आपने
हटाएंभूख अपनी दर्द अपना
जवाब देंहटाएंबेगाना लगे वतन अपना’
जैसे सवाल मनों को सालते थे
जाति, धर्म, भाषा, प्रदेश के खानों में बंटे हुए हम
देश की हवा में खून की गंध
अलगाव वाद की नदी की चीख
हिंसा का नृत्य और..
हिन्द का दर्द नेताओं का छल कपट बोलता है इस रचना में छले गए हैं हम आज़ाद होने के साथ ही।
स्वागत व आभार वीरू भाई !
हटाएंहमे एक होकर चलना है तभी हम मंजिल पा सकेंगे …धर्म, जाती , भाषा के बन्धनों से मुक्त एक और सम्पूर्ण भारत …….सुन्दर और सशक्त पोस्ट |
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण गीत ...
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