संग-साथ
प्रेम का अदृश्य वस्त्र
ओढ़कर हम चलते हैं
जीवन के उतार-चढ़ाव के मध्य
जो कभी भी पुराना नहीं होता
तो कोई साथ-साथ चलता है
हर धूप हर तूफ़ान से
सामना करते हुए
वह हमें देखता है !
शांति की एक धार
भिगो जाती है
जब हमारी दुआओं में
फ़िक्र सारी कायनात की
भर जाती है
एक माँ के दिल की तरह
तब हम उसे अपने भीतर
धड़कता हुआ पाते हैं !
जो जानता है बारीकियाँ
हर शै की
वह पढ़ लेता है
छोटी से छोटी ख्वाहिश
जो भीतर जन्म लेती है
और हम मुक्त होकर
विचरते हैं जगत में
जैसे कोई बादल
अनंत आकाश में
या मीन सागर में !
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार!
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