अब तो कुछ बात हो
फूलों से बात करें, बिछौना बने घास
डालियों के साथ झूमें, निहारें आस-पास
चाँद संग होड़ लगे, चाँदनी संग हम भी जगें
सो लिए बरसों बरस, अब तो प्रमाद छंटे
जीवन को मांग लें, अनकही प्रीत को
सीख लें कुदरत से, बंटने की रीत को
स्वप्नों को तोड़ दें, सच से मुलाकात हो
भरमाते उम्र बीती, अब तो कुछ बात हो
आँखों में डाल आँखें, खुद से भी मिलें कभी
होना ही काफी है, बन न कुछ पाए कभी
होकर ही जानेंगे, कुदरत का हैं हिस्सा
जाने कब आँख मुँदे, बन जाएँगे किस्सा