कविता
एक सी होती है
हर कविता की आत्मा
आदर्शों को पा लेने की चाह
और न पा सकने की विवशता
पर उम्मीद से भरी उसकी आँखें
नहीं थकतीं... तो नहीं ही थकतीं !
जीवन
मन के एक अँधेरे सूने
गह्वर के तल में
घनी गुल्म लताओं के घेरे के पीछे
किसी एकांत कोने में
कभी अचानक.. विधु की आभा
एक पल के लिए
जगती तल पर स्थित कोई
फूल हो जैसे !
गीत
न सुलाए मोद में जो
गीत वह जो प्राण भर दे,
युग-युगों से सुप्त उर में
भीषण हुँकार भर दे !
भीरु कातर इस नगर में
शक्ति का संचार कर दे,
इस धरा से उस गगन तक
दस दिशा गुंजार कर दे !
दूर कर दे भय, निराशा
मोह का संहार कर दे,
चीर डाले जो अँधेरा
रौशनी हर द्वार भर दे !
बहुत बढ़िया है आदरेया-
जवाब देंहटाएंआभार आपका-
दूर कर दे भय, निराशा
जवाब देंहटाएंमोह का संहार कर दे,
चीर डाले जो अँधेरा
रौशनी हर द्वार भर दे !
बहुत सुन्दर सकारात्मक भाव जगाती रचना... आभार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (09-11-2013) "गंगे" चर्चामंच : चर्चा अंक - 1424” पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
बहुत बहुत आभार राजीव जी !
हटाएंअति सुंदर।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव कणिकाएं और एक साबुत कविता।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव कणिकाएं और एक साबुत कविता।
जवाब देंहटाएंमन आनंद आनंद हो गया पढ़कर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसच में जीवन का गीत तो ऐसा ही होता है जैसा आपने चित्रित किया है ...
जवाब देंहटाएंसार्थक ...
तीनों के तीनों बेहतरीन |
जवाब देंहटाएंआभार, यशवंत जी !
जवाब देंहटाएंआप सभी सुधी पाठक जन का स्वागत व हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह ....बहुत सुंदर गीत
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