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गुरुवार, मार्च 1

अपनी अपनी जेल


अपनी अपनी जेल


कोई जेलर बनता है अपनी इच्छा से
जेल में वह भी आता है
और कैदी को लाया जाता है उसकी इच्छा के विरुद्ध
ऐसा लगता है ऊपर-ऊपर से,
पर कैदी भी अनजाने में
क्या इच्छा नहीं कर रहा था इसी की....

जेलर आनन्दित है
ऐसा दिखता है ऊपर-ऊपर से
पर उसके दुःख भी वैसे ही हैं
मात्रा कम या अधिक हो सकती है
दुःख सताते हैं उसे भी
आखिर कैदी है वह भी
एक बड़ी जेल का, जिसका जेलर दिखाई नहीं देता
जो तभी मुक्त करता है
जब कैदी उसके जैसा बन जाता है
क्यों कि वह जेल बनायी है उसने स्वयं ही....