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शनिवार, मई 25

मन राधा बस उसे पुकारे


मन राधा बस उसे पुकारे


झलक रही नन्हें पादप में
एक चेतना एक ललक,
कहता किस अनाम प्रीतम हित
खिल जाऊँ उडाऊं महक !

पंख तौलते पवन में पाखी
यूँ ही तो नहीं हैं गाते,
जाने किस छुपे साथी को
टी वी टुट् में वे पाते !

चमक रहा चिकना सा पत्थर
मंदिर में गया जो पूजा,
जाने कौन खींच कर लाया
भाव जगे न कोई दूजा !

चला जा रहा एक बटोही
थम कर किसकी ओर निहारे,
गोविन्द राह तके है भीतर
मन राधा बस उसे पुकारे !