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बुधवार, जुलाई 14

मौन

मौन 

एक नज़र ही काफ़ी है 

किसी के दिल का हाल जानने के लिए 

एक मुस्कान भरा आश्वासन 

एक शांत मुद्रा 

शब्दों की एक सीमा है 

जो नि:शब्द को पढ़ लेता है 

वह मुक्ति की तरफ कदम बढ़ा रहा है 

प्रकृति चुप रहकर भी मुखर है 

चाँद हजार सालों से बातें करता है प्रेमियों से 

हवा कानों में कुछ कह जाती है 

नदी बोलती है 

पेड़ और पुष्प भी 

हम भूल गए हैं चुप्पी की भाषा

दिन भर कानों में लगाए इयरफोन 

दिल की आवाज़ भी नहीं सुन पाते 

परम मौन है 

उसे मौन में ही सुना जाता है !



गुरुवार, सितंबर 12

कहा होगा राधा ने कृष्ण से

कहा होगा राधा ने कृष्ण से


तुम ! एक परिचित युगों के
 जाने-पहचाने
पर्याय मेरे अस्तित्त्व के
पहचान मेरी निज की
खुशबु की तरह समोई तुम्हारी याद
 तन-मन में
दीप्त करती, उजाला फैलाती
 आँखों में उन दो आँखों की छाया
कुछ कहते बन गयी
 वह मुद्रा
 विश्वास चेहरे का
 सचेत कर जाता है
 तुम्हारा देना
देखना एकटक
फिर हंस देना
भर जाता है मन-प्राण को
 अनोखे विश्वास से
 अधिकार सहित कहना तुम्हारा
 आदर्शवादी तुम !
 असीम धैर्यशाली
सर से पाँव तक हूँ
उसी भाव को समर्पित
अंकुरित, हर्षित
तुम भी हो न ?