राहे जिंदगी में
न तू है न मैं बस एक ख़ामोशी
है
इश्क की राह पर यह कैसा मोड़
आया
न ख्वाहिश मिलन की न विरह
का दंश
राहे जिंदगी में कैसा मुकाम
आया
एक ठहराव सा कोई सन्नाटा
पावन
सफर में यह अनोखा इंतजाम पाया
पत्ते-पत्ते पर लिखी है
कहानी जिसकी
हर श्वास पर उसी का अधिकार
पाया