दुलियाजान असम में स्थित मृणाल ज्योति संस्था, विकलांगों के पुनर्वास के लिये पिछले कई वर्षों से कार्य कर रही है. आज यहाँ भी विश्व विकलांग दिवस मनाया जा रहा है, यह कविता उसी कार्यक्रम में पढ़ी जायेगी.
विश्व विकलांग दिवस
वे बाधाग्रस्त हैं
अपूर्ण हैं
किन्तु केवल देह के तल पर,
मन और आत्मा से वे भी पूर्ण हैं
हम आप ही की तरह..
कभी वे बोल नहीं सके
सुन पाने में असमर्थ रहे
कभी नाकाबिल चल पाने में
मन की मन में रखने को विवश रहे !
झूठ और हिंसा के बलबूते पर
जीती हुई दुनिया से हैं अछूते
जहाँ जन्मे वहाँ भी
कभी-कभी बोझ हैं माने जाते
कहलाकर मंदबुद्धि उपहास के पात्र हैं बनते !
वे ऐसे हुए
ताकि हम कीमत जान सकें
जीवन के बहुमूल्य उपहारों की
ताकि हम पा सकें सेवा का अवसर
भर सकें अपने भीतर का छोटापन
जो सम्भाल सके अपूर्णता को
भर सकें अपने भीतर वह ताकत !
वे बाधाग्रस्त हैं लेकिन
अयोग्य या असहाय नहीं
आत्मशक्ति भरे भीतर वे तैयार हैं
करने सामना जीवन का
वे मुस्काते हैं, सहज हैं, इतने निर्दोष
कि वे शिकायत भी नहीं करते किसी से
ये तो हम ही हैं जो सकुचाते हैं उन्हें देख
वे अपनेआप में ऐसी कृति हैं परमात्मा की
जिन्हें चाहिए हमारी साज-सम्भार !
और हम जो भी करेंगे उनके लिये
अंततः होगा वह हमारे ही लिये
जाग उठेगी हमारे भीतर सोयी चेतना
उन आँखों में दिखेगी उसी की ज्योति
उन अधरों पर उसी की हँसी !
वे हमारी दया के नहीं, प्रेम के अधिकारी है
वे मासूम हैं, छलकपट की दुनिया से दूर
अपनी दुनिया में मस्त
चाहकर भी हम जिसमें प्रवेश नहीं पा सकते
पर इतना तो कर सकते हैं
कि उनके पथ के दो चार कंटक ही बीन दें
हमारे सहयोग से उनका जीवन
थोड़ा सा सरल हो जाये
विश्व विकलांग दिवस मनाना भी तो
सही अर्थों में सफल हो जाये !
hrdy ko jhankjhorti hui prastuti .aabhar
जवाब देंहटाएंman ko jhanjhorti.....jagrit karti rachna .aabhar
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबधाई ||
वे बाधाग्रस्त हैं लेकिन
जवाब देंहटाएंअयोग्य या असहाय नहीं
आत्मशक्ति भरे भीतर वे तैयार हैं
करने सामना जीवन का
....बहुत सटीक प्रस्तुति..विश्व विकलांग दिवस पर एक उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..आभार
बहुत अच्छी रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंअपूर्ण हैं
जवाब देंहटाएंकिन्तु केवल देह के तल पर,
मन और आत्मा से वे भी पूर्ण हैं
true!
They are differently abled!!!
विश्व विकलांग दिवस पर एक सुंदर अभिव्यक्ति. सलाम है मृणाल ज्योति जैसी तमाम संस्थाओं को. बधाई इस संवेदनात्मक प्रस्तुति के लिये.
जवाब देंहटाएंशिखा जी, कैलाश जी, मनोज जी,रचना जी, अनुपमा जी व रविकर जी अप्स्भिका हृदय से आभार !
जवाब देंहटाएंसच कहा है ... मन से पूर्ण होना ही सच्चा इंसान होना है ...
जवाब देंहटाएंदेर से आने की माफ़ी.......बहुत सुन्दर पोस्ट है ......इनको केवल सहनुभूति की ही नहीं प्रेम की और प्रेरणा की भी आवश्कता है|
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