अगन होलिका की है पावन
बासंती मौसम बौराया
मन मदमस्त हुआ मुस्काया,
फागुन पवन बही है जबसे
अंतर में उल्लास समाया !
रंगों ने फिर दिया निमंत्रण
मुक्त हो रहो तोड़ो बंधन,
जल जाएँ सब क्लेश हृदय के
अगन होलिका की है पावन !
जली होलिका जैसे उस दिन
जलें सभी संशय हर उर के,
शेष रहे प्रहलाद खुशी का
मिलन घटे उससे जी भर के !
उड़े गुलाल, अबीर फिजां में
जैसे हल्का मन उड़ जाये,
रंगों के जरिये ही जाकर
प्रियतम का संदेशा लाए !
सीमित हैं मानव के रंग
पर अनंत मधुमास का यौवन,
थक कर थम जाता है उत्सव
चलता रहता उसका नर्तन !
सच हिया मधुमास अपने नए नए रंगों से नित नै होली खेलता रहता है ... अंत साँसों का ही होता है ... उत्सव भी तो वहीं है "मन पाए विश्राम जहाँ"
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार दिगम्बर जी, होली की शुभकामनायें !
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जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 19/03/2019 की बुलेटिन, " किस्मत का खेल जो भी हो “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अनीता जी !
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार गोपेश जी !
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट: मंदिर वहीं बनाएंगे।
iwillrocknow.com
आभार, होली की शुभकामनाएं आपको भी..
हटाएंशुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपको भी होली की शुभकामनाएं!
हटाएंआपकी लिखी रचना आज ," पाँच लिंकों का आनंद में " बुधवार 20 मार्च 2019 को साझा की गई है..
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in/
पर आप भी आइएगा..धन्यवाद।
सूचना में तारीख गलत थी..इसलिए पुनः
बहुत बहुत आभार !
हटाएंहोली पर ढेरों शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार शाह जी !
हटाएंजली होलिका जैसे उस दिन
जवाब देंहटाएंजलें सभी संशय हर उर के,
शेष रहे प्रहलाद खुशी का
मिलन घटे उससे जी भर के !
बहुत ही सुंदर अनीता जी,होली की हार्दिक शुभकामनाये
स्वागत व आभार कामिनी जी !
हटाएंहोली की सपरिवार शुभकामना।
जवाब देंहटाएं- पूनम और विश्वमोहन
स्वागत व आभार !
हटाएंरंगों ने फिर दिया निमंत्रण
जवाब देंहटाएंमुक्त हो रहो तोड़ो बंधन,
जल जाएँ सब क्लेश हृदय के
अगन होलिका की है पावन !
बहुत सुंदर रचना
स्वागत व आभार !
हटाएंजली होलिका जैसे उस दिन
जवाब देंहटाएंजलें सभी संशय हर उर के,.....वाह अनीता जी क्या खूब लिखा है
स्वागत व आभार अलकनंदा जी !
हटाएंबहुत ही लाजवाब रचना...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
स्वागत व आभार सुधा जी !
हटाएंबहुत बहुत आभार !
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