बड़े दिन पर खास आपके लिये
वह एक चरवाहा है
और मैं उसके रेवड़ की सबसे छोटी भेड़
वह बचाता है, जहरीली झाडियों से,
कंटीली राहों से और अनजान गड्ढों से
दुलराता है अपने हाथों में ले....
वह पिता है
और मैं भटका हुआ पुत्र
जो घर लौट आया है
बाद बरसों के
पिता ने जिसके स्वागत में
किया है कितना विशाल आयोजन...
वह किसान है
और मैं उसके हाथ में पड़ा बीज
जो कभी गिरा चट्टान पर
कभी पगडंडी पर
और आज कोमल भूमि में
एक दिन खिलाएगा जो पुष्प
होने अर्पित उसी को...
वह एक मछुवारा है
जो फंसाता है मनुष्यों को
अपने जाल में
चुने जायेंगे कुछ उनमें से
और शेष लौटा दिये जायेंगे
पुनः भवसागर को...
हे प्रभु ईशु ...
जवाब देंहटाएंआज आओ मेरे मन में समाओ ...
भाव सागर पर लगाओ ....!!
क्रिस्मक ही हार्दिक शुभकामनाएं ..
जवाब देंहटाएंअनुपमा जी, व दिगम्बर जी, आपका अभिनन्दन व आभार!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुन्दर |
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