सागर तपता है
सागर तपता है
और बनकर मेघ शीतल
डोलता है संग पवन के
बरस जाता है तप्त भूमि पर..
मन अंतर तपता है
और बनकर करुणा अनंत
डोलता हैं संग प्रेम के
बरस जाता है तप्त हृदयों पर..
विचारों को सच की आग में तपाना होगा
निखारना होगा भावनाओं को
उस भट्टी में
जहाँ सारे अशुभ जल जाते हैं
न जाने कितने जन्मों की मैल
घुल गयी है मन के अनमोल पानी में
उसे तपाकर भाप बनकर उड़ना ही होगा ऊपर..
ऊर्जा पावन होकर ही बरसेगी
बनकर करुणा जल
मिटेगा अंधकार सदियों का
जब आत्मज्योति का पुष्प खिलेगा उस जल में
प्रीत की पवन बहेगी
उस पुष्प की महक
बिखरेगी चहुँ दिशाओं में
तपाये बिना जीवन का कोई रूप नहीं ढलता
तपाये बिना अहंकार नहीं पिघलता
सद्गुरू के चरणों में अहंकार ही चढ़ाना है
बार-बार अपने मन को यही एक अध्याय पढ़ाना है !
सुख की चाहत और दुःख के भय ने
कितना रुलाया है
स्वयं के कुछ बनने के
प्रयास ने कितना सताया है
अब बंद करना है यह खेल सदा के लिये
जीवन का आभार इस बोध उपहार के लिए !
कितना रुलाया है
जवाब देंहटाएंस्वयं के कुछ बनने के
प्रयास ने कितना सताया है
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
बहुत दिनों बाद आना हुआ ब्लॉग पर प्रणाम स्वीकार करें
स्वागत व आभार संजय जी...
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07.06.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2994 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद
बहुत बहुत आभार दिलबाग जी !
हटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस - सुनील दत्त और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंविचारों को भी तपना होगा ....
जवाब देंहटाएंसही कहा है ... विचार तप जाएँगे तो प्राकृति की अग्नि भी ठंडी हो सकती है ... पर्यावरण भी सुधर सकता है ...
स्वागत व आभार दिगम्बर जी. सचमुच पर्यावरण के सुधर के लिए मन की तपस्या और पवित्रता अति आवश्यक है
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ जून २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी !
हटाएंआध्यात्मिक पुट लिये पावन भावों वाली सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंतपना तो होगा गर निखरना है
कुंदन भी तप तप और दमकता है
मन तपा तो पावन होता है
तप तप विधाता से तार फिर जुडता है।
सही कहा है आपने, तप ही मानव और विधाता को जोड़ने वाला सूत्र है.स्वागत व आभार कुसुम जी,
हटाएंस्वागत व आभार सुमन जी !
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