अबोला
कितनी शांति है घर में
जब से तुमने अबोला धर लिया
है
कोई टोका-टाकी नहीं बात-बात
पर
नहीं खड़े रहते अब सिर पर
चाय, खाने के वक्त में
एक मिनट की भी देरी होने पर
अब चुपचाप स्वयं ही ले लेते
हो समझदार व्यक्ति की तरह
अब लिखने का वक्त भी मिल
जाता है और पढ़ने का भी
घर में सब धीरे-धीरे बातें
करते हैं
अब कुछ सिद्ध नहीं करना है
किसी को
जो जैसा है उसे वैसा ही
स्वीकारना है
सो स्वीकार लिया है
तुम्हारे मौन को सहज होकर
अब नहीं बढ़ती दिल की धड़कन
इस ख़ामोशी पर
क्योंकि बचाती है कितने ही
छोटे-छोटे भयों
और बेवजह की हड़बड़ी से
अब घटती हैं शामें धीरे-धीरे
अब होती हैं रातें भी सुकून
भरी
अब दौड़ नहीं लगानी पडती हर
बार तुम्हारे साथ चलने की
अब सब कुछ चल रहा है जैसे
उसे होना चाहिए सहज अपने क्रम से
तुम्हें भी अवश्य ही भा रहा
होगा यह मौन
क्योंकि जोर से कहे वे शब्द
कर जाते होंगे आहत तुम्हें भी तो
अति आग्रह से की गयी फरमाइश
या आदेश
भर जाता होगा तुम्हें भी तो
असामान्य उत्तेजना से
ईश्वर से प्रार्थना है
शांति मिले तुम्हें अपने भीतर
ताकि सीख लो कि ऐसे भी जिया
जाता है
रेल की पटरियों की तरह
समानांतर एक दूसरे के
बिना उलझे और बिना उलझाए
करते हुए सम्मान अन्य की
निजता का
कितना अच्छा हो यदि खत्म भी
हो जाये तुम्हारा अबोला
सिलसिला चलता रहे ऐसा ही घर का !
बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंजब कविता शुरू होती तभी से मन मे ये हड़बड़ाहट थी कि ये जो अबोला वाला बदलाव हुआ है वो उचित नहीं है।
जवाब देंहटाएंआखिर में आपने वो कह भी दिया और घर ऐसे ही चलता रहे।
सुंदर रचना है।
(मेरे ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए आभार)💐
उचित और अनुचित की सीमाओं से परे भी एक व्यवस्था है जो सहजता सिखाती है...स्वागत व आभार !
हटाएंसहज होने का सलीका सिखाती
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
स्वागत व आभार !
हटाएंसहज रहना और रहने देना दोनों अवस्थाएं जरूरी हैं ...
जवाब देंहटाएंक्यों किसी का आंकलन वो भी अपनी सोच के अनुसार ... क्यों नहीं स्वीकार कर लें सहज ही ...
बहुत सुन्दर रचना ...
सहज स्वीकार जीवन में घटे तभी आनंद भी प्रकट होता है..स्वागत व आभार !
हटाएंअत्यंत सहज लेखन। किसी का अबोला होना अखरता भी है और नहीं भी....
जवाब देंहटाएंसही कह रही हैं आप..जब सब स्वीकार हो तभी सहजता प्रकटती है
हटाएंवाह! खूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
स्वागत व आभार !
हटाएंये बहुत अलग सी रचना है, जो सोचने पर मजबूर करती है॥
हटाएंजी हाँ, स्वागत व आभार !
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