आया सितम्बर
आया सितम्बर
लाया वर्षा की बौछार
बस कुछ कदम दूर है
जन्माष्टमी त्योहार !
वही, अपने कन्हैया का जन्मदिन
जिसे मनाते हैं आधी रात
सोचें जरा, था आधुनिक
वह द्वापर में भी
ठीक बारह बजे
जन्मदिवस मनाने की
चलायी थी परिपाटी !
सितम्बर लिए आता
गणपति बप्पा को भी
और कैसे भला भूलें
भगवान विश्वकर्मा का अवतरण दिवस
मिल मनाते कारीगर
भर अंतर में हुलस !
समय है बताता है :)
जवाब देंहटाएंसही है, आभार!
हटाएंबधाई कविता और जन्माष्टमी की
जवाब देंहटाएंआपको भी आने वाले पर्वों की बधाई!
हटाएंबहुत बहुत आभार यशोदा जी !
जवाब देंहटाएंत्योहारों का अपना एक महत्व है.
जवाब देंहटाएंरचना की शुभकामनाएँ.
पधारिये संस्कृति - विकृति
स्वागत व आभार !
हटाएंसार्थक कविता
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी!
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