गणतन्त्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें
अमृत बरसे है अम्बर से
सूर्य देव को करें प्रणाम,
धरती पर नदियाँ, झीलें
पुण्य धरा सींचें दिन-याम !
संतों की है दीर्घ श्रंखला
परम सत्य भी यहीं मिला,
योग-संख्य, वेदांत अनूठे
पुष्प भक्ति का यहीं खिला !
हिम पर्वत से धुर दक्षिण तक
सदियों से गुंजित हैं गान,
धन्य-धन्य स्वयं को मानें हम
भारत की जो हैं सन्तान !
अद्भुत भाषाएँ, बोलियाँ
वेश, खाद्य भी हैं अनगिन,
एक सूत्र बाँधें है सबको
एक भाव बहता निशदिन !
वीर बाँकुरे भारत भू के
सीमाओं पर हैं तैनात,
खलिहानों में कृषक चेतना
श्रम अकूत करती दिन-रात !
उत्सव आज मनाएं मिलकर
सुखमय हो यह विश्व कुटुंब,
गणतन्त्र दुनिया का अनोखा
जहाँ वंशी, गीता व कदम्ब !
लहर उठी है अब क्रांति की
जाग उठा है हर इक जन,
भारत की आत्मा प्रमुदित है
पुलकित है हर जन गण मन !