एक छुअन है अनजानी सी
शब्दों में कैसे ढल पाए
मधुर रागिनी तू जो गाए,
होने से बनने के मध्य
गागर दूर छिटक ही जाए !
एक छुअन है अनजानी सी
प्राणों को जो सहला जाती,
एक मिलन है अति अनूठा
हर लेता हर व्यथा विरह की !
मदिर चांदनी टप-टप टपके
कोमलतम है उसका गात,
तके श्याम बाट राधा की
भूली कैसे वह यह बात !
जिस पल तकती वही वही है
मौन रचे जाता है गीत,
ज्यों प्रकाश ही ओढ़ आवरण
बहता चहूँ दिशि बनकर प्रीत !
जाने कितने करे इशारे
अपनी ओर लिए जाता है,
पल भर काल न तिल भर दूरी
अपनी खबर दिए जाता है !