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सोमवार, अक्टूबर 24

आलोकित होगा जीवन पथ

आलोकित होगा जीवन पथ


तन माटी का इक घट जिसमें 

मन कल-कल जल सा नित बहता,

 परितप्त हुआ फिर  शीतल सा  

बन वाष्प  उड़ा  नभ में जाता !

 

या तन माटी का घट जिसमें 

उर बसा नवनीत सा कोमल, 

जिसे चुरा ले जाता नटखट 

गोकुल वाला कान्हा  श्यामल !


बना  सोम, वरुण, देव पावक

वही अनोखे खेल रचाता, 

तोड़ बंध जो आये बाहर 

निज हाथ थमाए ले जाता !


यदि तन माटी-दीप बना लें  

प्रेम स्नेह से बरबस निखरे ,  

गति जिसकी ऊपर ही ऊपर 

प्रखर आत्मज्योति जल बिखरे !


ताप हरेगा हर विकार तब 

आलोकित होगा जीवन पथ, 

ज्योति परम से सहज जुड़ेगी 

दीवाली का यही शुभ अर्थ ! 



मंगलवार, सितंबर 13

पाहन सा दिल बना लिया जो

पाहन सा दिल बना लिया जो 


​​

पल-पल कोई साथ हमारे 

सदा नज़र के आगे रखता, 

आँखें मूँदे हम रहते पर 

निशदिन वह जागा ही रहता !


पाहन सा दिल बना लिया जो 

जब नवनीत बना पिघलेगा,

नयनों से विरह अश्रु बहें 

तत्क्षण आ वह ग्रहण करेगा !


वह दीवाना जग का मालिक 

फिर भी इक-इक के सँग रहता,

केवल भाव प्रेम का बाँधे 

गुण-अवगुण वह कहाँ देखता !


बार-बार भेजे संदेशे 

सुना-अनसुना हम करते हैं, 

युग-युग से जो राह देखता 

चूक-चूक उससे जाते हैं !


वही-वही है जीवन का रस 

प्याले पर प्याला छलकाये, 

जीवन के हर रूप-रंग में 

अपनी ही छवियाँ झलकाए !