मंगलवार, सितंबर 13

पाहन सा दिल बना लिया जो

पाहन सा दिल बना लिया जो 


​​

पल-पल कोई साथ हमारे 

सदा नज़र के आगे रखता, 

आँखें मूँदे हम रहते पर 

निशदिन वह जागा ही रहता !


पाहन सा दिल बना लिया जो 

जब नवनीत बना पिघलेगा,

नयनों से विरह अश्रु बहें 

तत्क्षण आ वह ग्रहण करेगा !


वह दीवाना जग का मालिक 

फिर भी इक-इक के सँग रहता,

केवल भाव प्रेम का बाँधे 

गुण-अवगुण वह कहाँ देखता !


बार-बार भेजे संदेशे 

सुना-अनसुना हम करते हैं, 

युग-युग से जो राह देखता 

चूक-चूक उससे जाते हैं !


वही-वही है जीवन का रस 

प्याले पर प्याला छलकाये, 

जीवन के हर रूप-रंग में 

अपनी ही छवियाँ झलकाए !

 

6 टिप्‍पणियां:

  1. हम भले ही अनदेखा कर दें लेकिन वो साथ नहीं छोड़ता ।
    सुंदर सृजन ।।

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    1. त्वरित व सुंदर प्रतिक्रिया हेतु हृदय से आभार संगीता जी!

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  2. भक्‍ति की रसधारा बहा दी अलीता जी आपने तो...वाह...शानदार रचना...वह दीवाना जग का मालिक

    फिर भी इक-इक के सँग रहता,

    केवल भाव प्रेम का बाँधे

    गुण-अवगुण वह कहाँ देखता !....लाजवाब

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    उत्तर
    1. स्वागत व आभार अलकनंदा जी ! जौहरी की गति जौहरी जाने !!

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  3. आदरणीय , सुंदर अभिव्यक्ति , हिन्दी दिवस की बहुत शुभकामनायें ।

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