पाहन सा दिल बना लिया जो
पल-पल कोई साथ हमारे
सदा नज़र के आगे रखता,
आँखें मूँदे हम रहते पर
निशदिन वह जागा ही रहता !
पाहन सा दिल बना लिया जो
जब नवनीत बना पिघलेगा,
नयनों से विरह अश्रु बहें
तत्क्षण आ वह ग्रहण करेगा !
वह दीवाना जग का मालिक
फिर भी इक-इक के सँग रहता,
केवल भाव प्रेम का बाँधे
गुण-अवगुण वह कहाँ देखता !
बार-बार भेजे संदेशे
सुना-अनसुना हम करते हैं,
युग-युग से जो राह देखता
चूक-चूक उससे जाते हैं !
वही-वही है जीवन का रस
प्याले पर प्याला छलकाये,
जीवन के हर रूप-रंग में
अपनी ही छवियाँ झलकाए !
हम भले ही अनदेखा कर दें लेकिन वो साथ नहीं छोड़ता ।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन ।।
त्वरित व सुंदर प्रतिक्रिया हेतु हृदय से आभार संगीता जी!
हटाएंभक्ति की रसधारा बहा दी अलीता जी आपने तो...वाह...शानदार रचना...वह दीवाना जग का मालिक
जवाब देंहटाएंफिर भी इक-इक के सँग रहता,
केवल भाव प्रेम का बाँधे
गुण-अवगुण वह कहाँ देखता !....लाजवाब
स्वागत व आभार अलकनंदा जी ! जौहरी की गति जौहरी जाने !!
हटाएंअद्भुत रस।
जवाब देंहटाएंआदरणीय , सुंदर अभिव्यक्ति , हिन्दी दिवस की बहुत शुभकामनायें ।
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