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सोमवार, सितंबर 25

एक पुहुप सा खिला है कौन


एक पुहुप सा खिला है कौन 


एक निहार बूँद सी पल भर
किसने देह धरी,
एक लहर सागर में लेकर
किसका नाम चढ़ी !

बिखरी बूँद लहर डूब गयी 
पल भर दर्श दिखा,  
जैसे घने बादलों में इक
चपला दीप जला !

एक पुहुप सा खिला है कौन 
जो चुपचाप झरे,  
एक कूक कोकिल की गूँजे
इक निश्वास भरे !

एक राज जो खुला न अब तक
कितने वेद पढ़े,  
किसी अनाम की खातिर कौन
पग-पग नमन करे !