पल-पल बरसे वह चाहत है
हर फूल यहाँ जो खिलता है
हर गीत उसी की नेमत है,
यदि रोके ना कोई रस्ता
पल-पल बरसे वह चाहत है !
रंगों के पीछे छिपा हुआ
शब्दों का स्रोत वही तो है,
भावों की भाषा पढ़ सकता
नीरवता मौन वही तो है !
महिमावान नहीं वह केवल
माधुर्य से ओतप्रोत है,
करुणावान नहीं दिल उसका
अतिशय स्नेह से युक्त भी है !
छाया बन संग-संग डोले
धरा वही आकाश भी बना,
राज छुपाना जितना चाहे
रहा कहाँ कोई राज छिपा !