मकर संक्रांति पर कुछ दोहे
मकर राशि में आदित्य का हो रहा प्रवेश
संक्रांति काल लिए आया यह पर्व विशेष !
उत्तर में खिचड़ी कहें पोंगल दखिन में है
लोहरि जो पंजाब में शुभ बिहु असम में है !
लकड़ी का इक ढेर हो शीत मिटाए आग
बैर कलुष जल खाक हों पर्व मनायें जाग !
मीठे गुड में तिल मिले नभ में उड़ी पतंग
लोहरि की इस आग ने दिल में भरी उमंग !
दाने भुने मकई के भर रेवड़ियाँ थाल
अंतर में उल्लास हो चमकें सबके भाल !
अनिता निहालानी
१३ जनवरी २०११
आपको मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"
जवाब देंहटाएंमीठे गुड में तिल मिले नभ में उड़ी पतंग लोहड़ी की इस आग ने दिल में भरी उमंग !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति -
शुभकामनायें
लकड़ी का एक ढेर हो शीत मिटाए आग
जवाब देंहटाएंबैर कलुष जल खाक हों पर्व मनायें जाग !
मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें !
अनीता जी आपको और आपके परिवार को इस पर्व की ढेरों शुभकामनायें|
जवाब देंहटाएंहुत खूब ! सरल सामयिक और सुन्दर रचना ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंअनीता जी !! बेहद सुन्दर रचना है समय के अनुसार ...आपको भी लोहड़ी और मकर सक्रांति पर हार्दिक शुभ कामनाएं ! आपकी यह रचना और ब्लॉग कल चर्चामंच पर होगा .. www.charchamanch.uchcharan.blogspot.com
जवाब देंहटाएंलकड़ी का एक ढेर हो शीत मिटाए आग
जवाब देंहटाएंबैर कलुष जल खाक हों पर्व मनायें जाग
बहुत सुंदर अनीता जी ......हार्दिक शुभकामनायें आपको भी.....
सक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें आपको भी .....सादर
जवाब देंहटाएंआपको मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !
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